रोटी और ग़ज़ल
रोटी और ग़ज़ल है एक समान
खाने और पढ़ने में लगे आसान
रोटी में आटा पानी सही माप
ग़ज़ल में शब्द भाव माप समान
रोटी में आटे पानी का घोल
ग़ज़ल में शब्द भावो का मिलान
रोटी में बनता आकार उसका
ग़ज़ल में होता शेरो का बखान
रोटी जलने सिकने को तैयार
ग़ज़ल में होती शब्दो की पहचान
रोटी के लिए तरस रहा किसी का पेट
ग़ज़ल के लिए तड़प रहा किसी का कान
माँ बनाती रोटी ग़ज़ल बनाता शायर
दिल से प्यारे इनको ना करो अपमा