“रोचक पटकथा , सफ़ल फ़िल्म की आत्मा होती है “
शीर्षक –
( ” रोचक पटकथा , सफ़ल फ़िल्म की आत्मा होती है ” )
वर्तमान युग में सिनेमा , नवीन कहानियों को खोजता नज़र आ रहा है । एक -जैसी कहानियों की पुनरावृत्ति ,सिनेमा की सफ़लता पर प्रश्नचिह्न लगा रही है । कमज़ोर पटकथा के कारण बालीवुड की अनेक फ़िल्में बाक्स आफ़िस पर आशातीत सफ़लता प्राप्त नहीं कर सकी । निर्देशक की दृष्टि इतनी पारखी होनी चाहिये जिससे वह एक अच्छी पटकथा का चयन कर सके । हम बालीवुड के ख़्यात निर्देशक संजय लीला भंसाली जी की बात करें तो हम यह देखेंगे कि उनकी अब तक की सफ़ल फ़िल्मों के पीछे ,उनकी सशक्त कथा एवं रोचक पटकथा ने महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया है ।
उन्होंने जब वर्ष 2000 के प्रारंभिक दौर में ” देवदास ” फ़िल्म का निर्माण किया तो लोगों को यही लगा कि इस नाम से पहले भी दिलीप कुमार साहब अभिनीत फ़िल्म बन चुकी है जिसमें उनके शानदार अभिनय का दर्शकों पर गहरा प्रभाव पड़ा था परंतु शाहरुख़ अभिनीत देवदास में संजय लीला भंसाली की दमदार पटकथा ,भव्य फ़िल्मांकन एवं इस्माईल दरबार का कर्णप्रिय संगीत था जिसने फ़िल्म को हिट की श्रेणी में खड़ा कर दिया । हम दिल दे चुके सनम , रामलीला ,पदमावत ,बाजीराव मस्तानी जैसी ब्लाकबस्टर फ़िल्में ,सशक्त एवं रोचक पटकथा के दम पर दर्शकों को आकर्षित कर पायी हैं । क़िरदार तभी गढ़े जा सकते हैं जब कहानी मज़बूत हो । पृथ्वीराज और राधेश्याम जैसी मेगा बजट फ़िल्में शायद दर्शकों को अच्छी कहानी एवं सशक्त पटकथा के अभाव में नीरस लगी और फ्लॉप सिद्ध हुई ।
जो निर्देशक पटकथा का सिनेमाई महत्व समझते हैं वो जल्दबाज़ी में फ़िल्में नहीं बनाते । सालार एवं पुष्पा 2 जैसी आगामी फ़िल्मों की पटकथा में भी बदलाव किया गया है ताकि दर्शक प्रारंभ से अंत तक फ़िल्म से जुड़े रहें और उनकी रूचि फ़िल्म में बनी रहे । हालिया रिलीज़ फ़िल्म ” शाबाश मिथु ” ,क्रिकेटर मिताली राज के जीवन और उनके क्रिकेट के प्रति प्रेम को ठीक ढंग से सिनेमा के पर्दे पर प्रस्तुत करने में असमर्थ रही ,शायद एक रोचक पटकथा की दरकार थी एक मजबूत किरदार को चित्रित करने के लिए ।
रोचक एवं सशक्त पटकथा – दिलोदिमाग पर चोट करने वाले संवाद ,किसी फ़िल्म की सफ़लता में महती भूमिका निभाते हैं
राजकुमार राव की फ़िल्म हिट-द फ़र्स्ट केस भी लचर पटकथा एवं अजीबोगरीब सस्पेंस के चलते भव्य सफ़लता नहीं पा सकी । यशराज फिल्म्स की आने वाली फ़िल्म शमशेरा पर सभी की निगाहें हैं क्योंकि इससे पहले यशराज बैनर की तीन बड़ी फ़िल्में बुरी तरह असफ़ल हुई हैं । शायद अच्छी कहानी की दरकार थी उन फ़िल्मों को ,महज रणवीर सिंह के स्टारडम पर जयेशभाई जोरदार और सैफ़ -रानी की जोड़ी के दम पर एक बार फिर बंटी और बबली, बाक्स आफ़िस नहीं लूट सकते
अमेजॉन पर रिलीज़ तमिल वेबसीरिज़ सुझल – द वोर्टेक्स , मज़बूत कहानी के दम पर दर्शकों को अंतिम एपिसोड तक उलझा कर रखती है ,यह है कहानी की अहमियत और उसके प्रस्तुतिकरण की महत्ता ।।
आज का दर्शक अच्छी फ़िल्म में बेहतरीन कहानी तलाशता नज़र आता है और उसकी तलाश को उस वक़्त आघात पहुंचता है जब घिसीपिटी कहानी को नकलीपन के मेकअप से सजा दिया हो ।।
फ़िल्मकारों को चाहिए कि सशक्त और रोचक पटकथा का चयन करें ताकि फ़िल्म बनाने में उनके द्वारा की गई मेहनत ज़ाया न हो ।।।।
© डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
©काज़ीकीक़लम
28/3/2 , अहिल्या पल्टन ,इकबाल कालोनी ,
इंदौर ,जिला -इंदौर ,मध्यप्रदेश