रोए थे।
मिलने की चाहत में दिल खोल कर रोए थे,
हम भी किसी के बदले लहजे को याद करके रोए थे।
मिले उनसे जब भी गम छुपा लिया हमने,
बैठकर तन्हाई में फूट-फूट कर रोए थे।
एक हादसा हो गया आंखों के सामने हमारे,
उसी हादसे को याद कर हम बिखर के रोए थे।
सदियों बाद मिली है सदाकत हमें,
इस झूठी दुनिया से परे हम दोनों गले लग के रोए थे।
सारी सच्चाई बता दी उसने उसके किए कत्ल की,
फिर भी उसकी गुनाही पर हम आंख नम कर रोए थे।