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6 Feb 2018 · 1 min read

रे मेरे मनमीत!

रे मेरे मनमीत!
न गा तूँ प्रेम के यूँ गीत,
ये प्रेम बड़ा ही,
दुखदाई है!
तेरी प्रेयसी हरजाई है!
प्रेम का उसको ज्ञान नहीं,
चाहत का तेरे भान नहीं,
किञ्चित नहीं वो तेरा भाग्य!
पर इसमें उसका दुर्भाग्य!!
ना रोक उसे तूँ ,
जाने दे!

रे मेरे मनमीत!

-?️अटल©

Language: Hindi
288 Views
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