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1 Jun 2023 · 1 min read

!! रे, मन !!

रे मन, थोड़ा धीर तु धर
ग़म के बादल छंट जायेंगे

अगर हुआ मायूस नहीं तो
खोये, पल मिल जायेंगे

जीवन में रसधार रही तो
उत्सव हर रोज़ मनायेंगे

शाखाओं में जान रही तो
पुनः पुष्प खिल जायेंगे

हरे-भरे वन, बाग़ रहे तो
पंक्षी नीत कलरव गायेंगे

कलियों की मुस्कान रही तो
भौंरे, फिर-फिर मंडरायेंगे

अंबर छूने की चाह रही तो
फिर से क़दम बढ़ायेंगे

रिश्तों की परवाह रही तो
‘चुन्नू’ प्रेम सुधा बरसायेंगे

रे मन, थोड़ा धीर तु धर
खुशियों के मौसम आयेंगे

•••• कलमकार ••••
चुन्नू लाल गुप्ता-मऊ (उ.प्र.)

5 Likes · 3 Comments · 703 Views
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