रेलगाड़ी मुझपर से होकर
मैं रेल की पटरी पर
सो रही
जागती हुई
रेलगाड़ी मुझपर से होकर
गुजर गई और
मुझे कुछ न हुआ
यह दुनिया के गमों के
बोझ से ज्यादा भारी नहीं
दुनिया के हथियारों की
चारों तरफ से
दिन रात
हर समय बरसती
तेज तीरों की धारों सी बौछारें जब
मेरा गला काट न पाई
मेरे सीने को छलनी कर न पाई तो
यह रेलगाड़ी क्या चीज है जो
मुझे एक केक की तरह
चाकू की तेज धार से
काटने की हिम्मत कर
पायेगी।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001