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26 Sep 2020 · 1 min read

रेत

सूखे रेत पर एक मर्तवा भी बारिश की बूंदे पड़ जाए तो बूंदों के निशां तब तक रहते है जबतक कि कोई वहां से गुज़र न जाए।वो पूछते हैं कि क्या तुम कभी याद करते हो?अब क्या जवाब दिया जाए शायद उन्हें इसका इल्म ही नहीं कि एक व़क्त के बाद याद नहीं किया जाता बल्कि महसूस किया जाता है।सींखंचों से आती रोशनी पूरे अंधकार को कम करती है इतना कि अंधेरा कम हो सके।एक मर्तवा न देखा ना सही पर हर मर्तवा उपेक्षा करना कितना न्यायसंगत है तुम ही जानो।केवल बोल भर देने से किसी का प्रेम नहीं दिखता बल्कि वो बाते जो एकांत में एक ख़ास सिहरन पैदा करती है वह प्रेम है।जीवन में बहुत कुछ जूट जाता है पर जो कुछ भी मिलता है वही सरमाया है….
मनोज शर्मा

Language: Hindi
Tag: लेख
3 Likes · 250 Views

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