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10 Sep 2022 · 1 min read

रेत सी फिसलती जिंदगी

कभी गमों से पीछा छुड़ाती जिंदगी
कभी खुशियों को गले लगाती जिंदगी
हों पकड़ कितनी भी मजबूत
रेत सी फिसलती, चली जाती जिंदगी

कितने ही सुनहरे अवसर आते हैं
हाथ पर हाथ धरे यूं ही बैठे रह जाते हैं
समय कभी किसी के लिए रुकता नहीं
पछतावे के सिवा कुछ हाथ आता नहीं

रह न जाए कुछ अनसुलझा कुछ अधूरा
दिल के अरमानों को कर लेना आज पूरा
छाया बुढ़ापा ,बीता यौवन और बचपन
कल के भरोसे में,बीतता जा रहा ये जीवन

रेत सी फिसलती ही जा रही जिंदगी
कुछ धर्म,कर्म अच्छे कुछ कर ले बंदगी
सन्मार्ग पे चल कर,कर लेना कुछ परोपकार
गर,करें परिश्रम तो सपने होते हि हैं,साकार

Language: Hindi
1 Like · 174 Views
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