Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 Mar 2023 · 1 min read

*प्रकृति का नव-वर्ष 【घनाक्षरी】*

प्रकृति का नव-वर्ष 【घनाक्षरी】
■■■■■■■■■■■■■■■■■■
पीली-पीली पत्तियाँ समस्त झड़ चुकीं अब
पेड़ों की सुकोमल नवीन छवि आ गई
जाड़ों का न कहर हवा में रहा लेश-मात्र
मौसम में जैसे एक मस्ती-सी छा गई
थिरक रहा है मन नर्तन कर रहा
बोली हास-परिहास वाली अब भा गई
आई कुदरत बोली सबसे मनाओ मौज
नया साल सबको मुबारक सुना गई
—————————————————
रचयिता : रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451

236 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all
You may also like:
मेरी राहों में ख़ार
मेरी राहों में ख़ार
Dr fauzia Naseem shad
दुर्लभ हुईं सात्विक विचारों की श्रृंखला
दुर्लभ हुईं सात्विक विचारों की श्रृंखला
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
आओ गुफ्तगू करे
आओ गुफ्तगू करे
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
आप और हम जीवन के सच
आप और हम जीवन के सच
Neeraj Agarwal
बेटियां तो बस बेटियों सी होती है।
बेटियां तो बस बेटियों सी होती है।
Taj Mohammad
तू बेखबर इतना भी ना हो
तू बेखबर इतना भी ना हो
gurudeenverma198
"धरती"
Dr. Kishan tandon kranti
वक्त की कहानी भारतीय साहित्य में एक अमर कहानी है। यह कहानी प
वक्त की कहानी भारतीय साहित्य में एक अमर कहानी है। यह कहानी प
कार्तिक नितिन शर्मा
3265.*पूर्णिका*
3265.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
गुफ्तगू तुझसे करनी बहुत ज़रूरी है ।
गुफ्तगू तुझसे करनी बहुत ज़रूरी है ।
Phool gufran
*घर की चौखट को लॉंघेगी, नारी दफ्तर जाएगी (हिंदी गजल)*
*घर की चौखट को लॉंघेगी, नारी दफ्तर जाएगी (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
मंजिल तक का संघर्ष
मंजिल तक का संघर्ष
Praveen Sain
सप्तपदी
सप्तपदी
Arti Bhadauria
मिट्टी बस मिट्टी
मिट्टी बस मिट्टी
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
पहाड़ चढ़ना भी उतना ही कठिन होता है जितना कि पहाड़ तोड़ना ठीक उस
पहाड़ चढ़ना भी उतना ही कठिन होता है जितना कि पहाड़ तोड़ना ठीक उस
Dr. Man Mohan Krishna
एक नयी रीत
एक नयी रीत
Harish Chandra Pande
🌹 मैं सो नहीं पाया🌹
🌹 मैं सो नहीं पाया🌹
सुरेश अजगल्ले 'इन्द्र '
#कहमुकरी
#कहमुकरी
Suryakant Dwivedi
झूठा फिरते बहुत हैं,बिन ढूंढे मिल जाय।
झूठा फिरते बहुत हैं,बिन ढूंढे मिल जाय।
Vijay kumar Pandey
हिंदी दिवस पर विशेष
हिंदी दिवस पर विशेष
Akash Yadav
आ भी जाओ मेरी आँखों के रूबरू अब तुम
आ भी जाओ मेरी आँखों के रूबरू अब तुम
Vishal babu (vishu)
ग़ज़ल/नज़्म - हुस्न से तू तकरार ना कर
ग़ज़ल/नज़्म - हुस्न से तू तकरार ना कर
अनिल कुमार
प्यारी-प्यारी सी पुस्तक
प्यारी-प्यारी सी पुस्तक
SHAMA PARVEEN
कान्हा मेरे जैसे छोटे से गोपाल
कान्हा मेरे जैसे छोटे से गोपाल
Harminder Kaur
रेलयात्रा- एक यादगार सफ़र
रेलयात्रा- एक यादगार सफ़र
Mukesh Kumar Sonkar
थोड़ा सा मुस्करा दो
थोड़ा सा मुस्करा दो
Satish Srijan
*अज्ञानी की कलम*
*अज्ञानी की कलम*
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
अगर गौर से विचार किया जाएगा तो यही पाया जाएगा कि इंसान से ज्
अगर गौर से विचार किया जाएगा तो यही पाया जाएगा कि इंसान से ज्
Seema Verma
चन्द्रयान अभियान
चन्द्रयान अभियान
surenderpal vaidya
नश्वर है मनुज फिर
नश्वर है मनुज फिर
Abhishek Kumar
Loading...