* रेत समंदर के…! *
* रेत समंदर के…! *
” माना कि…
कुछ सुकून है, इस किनारे पर..!
शीतल हवाओं के इशारे भी हैं,
इस किनारे पर..?
मगर कहता है…
ये रेत समंदर के…
मत देख सपने इस किनारे पर..!
आयेंगे कुछ लहरें यहाँ…
और तेरे पांव से यूँ ही हम भी सरक जायेंगे…!
ये बरसों के तज़ूर्बें हैं मेरे…!
मैं तेरे लंबी सफ़र का सहारा नहीं…!! ”
✍️…..!!!