रेखा (शब्द चित्र)
नमन मंच
15-10-21
शब्द चित्र
रेखा
जी आपकी जॉब क्या जॉब है। रेखा जी ने बताया कि मैं महिला स्वावलम्बन समिति की काउंसलर हूँ मेरा यह N G O वसन्त कुँज में नेल्सन मंडेला रोड पर है। आइये आप बैठिए। यह संस्था महिलाओं के लिए कार्य करती है। मैंने पूँछा की क्या वह महिलाओं की जॉब भी लगवा सकती है। उन्होंने कहा ,नहीं आप मेरी संस्था की सदस्य बन सकतीं हैं।
रेखा जी करीब 5 फुट 4 इंच की लम्बाई की महिला थीं। बड़ी बड़ी आकर्षक आंखें लम्बा चेहरा,औसतन व्यक्तित्व वाली, माथे पर न बहुत बड़ी न बहुत छोटी बिंदी,गौर वर्ण ,कमर से नीचे तक के लंबे बालों से उनके व्यक्तित्व की शोभा दोगुनी हो जाती थी।बहुत ही विनम्र स्वभाव वाली आकर्षक महिला थीं।
मैं भी अब धीरे धीरे उनकी संस्था की सदस्य बन कर उनके कार्यक्रमों में भाग लेने लगी थी।अब रेखा जी मेरा घर समीप होने के कारण मेरे घर आने जाने लगीं थी।मेरे प्रदेश की होने के करण घनिष्टता बढ़ने लगी। रेखा जी बहुत ही दिलेर महिला थीं। समय गुजरने लगा साल दर साल गुजरते गए। उनके मेरे सामने ही करीब 6 ऑपरेशन हो चुके थे।पेट में हर4 साल बाद ट्यूमर हो जाता था कभी परेशान होतीं तो मेरे घर आ जातीं थीं। काफी बातें करतीं थीं।वे अब घर के एक सदस्य की तरह घुल मिल गईं थीं। अचानक रेखा जी को पेट में दर्द हुआ। डॉक्टरों ने उनका तुरन्त ऑपरेशन किया लेकिन फिर उनको कभी होश न आया। 5 दिन बाद उनकी आत्मा परमात्मा में विलीन हो गई।जब मैंने सुना कि वह खत्म हो गईं हैं तो मैं भी वहाँ गई पर बस उनकी सूरत व उनकी मीठी यादें ही मेरे दिल में रह गईं थी जो कभी भी न भूलने वाली बन चुकीं थीं।
प्रवीणा त्रिवेदी प्रज्ञा
नई दिल्ली 74