रूह को पैरहन ए जिस्त फबती नहीं …
यह दुनिया अब अच्छी लगती नहीं,
कोई बात इसकी दिल को जचती नही,
लग गई आग जबसे ख्वाबों के शबिस्तान में,
मेरी रूह को भी अब यह पैरहन ए जिस्त फबती नहीं।
यह दुनिया अब अच्छी लगती नहीं,
कोई बात इसकी दिल को जचती नही,
लग गई आग जबसे ख्वाबों के शबिस्तान में,
मेरी रूह को भी अब यह पैरहन ए जिस्त फबती नहीं।