रूप ने न दी, स्याही स्याही l
रूप ने न दी, स्याही स्याही l
कलम तबाही, कलम तबाही ll
रस रंग किताब न खोली खोली l
इलम तबाही, इलम तबाही l
जो इश्कि दिल न खुला खुला l
मरम तबाही, मरम तबाही ll
जो धोखाधड़ी ओ धोखाधड़ी l
सनम तबाही, सनम तबाही ll
सत्य मानवता की न वाही वाही l
धरम तबाही, धरम तबाही ll
द्वेष ओ प्यास जो ख़तम ख़तम l
ख़तम तबाही, खतम तबाही ll
अरविन्द व्यास “प्यास”
व्योमत्न