रूप चाँद है l
रूप चाँद है l
प्रीत द्वंद द्वंद है l
चाँद छंद है l
है नही नहीं l
कड़क कही कही l
है सही सही l
क्या लाचारी है l
भई अत्याचारी है l
बड़ी भारी है l
ना कुदरत ।
नहीं सही नियत ।
ना जमानत ।
सत्य की लय ।
है पावन समय ।
शांति है तय ।
अरविन्द व्यास “प्यास”
व्योमत्न