रूप घनाक्षरी
रूप घनाक्षरी – घनाक्षरी छंद के इस भेद में कुल 32 वर्ण होते हैं। 8,8,8,8 वर्णों पर यति का प्रयोग उत्तम माना जाता है। वैसे 16-16 वर्णों पर भी यति का प्रयोग किया जा सकता है। इस छंद के अंत में गुरु लघु अनिवार्य होता है।
लगा है आषाढ़ मास,शुरू बरसात हुई,
धानी ओढ़ चुनरिया,वसुधा करे सिंगार।
नाचते मयूर वन ,दादुर किलोल करें,
पपीहा पुकारे बैठ,दिखलाए निज प्यार।
कृषक प्रसन्न अति,खेतीबाड़ी कर रहे,
छाई है उमंग उर ,देख- देख जलधार।
मौसम सुहाना हुआ,प्रीत उमगाए उर,
बह रही हर ओर, शीतल मंद बयार।।
डॉ.बिपिन पाण्डेय