रूप घनाक्षरी छंद/ मोबाइल
8,8,8,8
वो खिलौने टूट गए, खेल सभी छूट गए,
खेलकूद हुआ कम, साथ में है दूरभाष…
होती सब काम पूरी, हो गया यह जरूरी
दिन में रहता साथ, रात में है दूरभाष…
गांव में हरियाली थी, मन में खुशहाली थी
संपर्क इसी से होता , बात में है दूरभाष…
मोबाइल जो साथ है, व्यस्त सभी का हाथ है
खाने का समय नहीं, हाथ में है दूरभाष…
©अभिषेक श्रीवास्तव “शिवा”
अनूपपुर मध्यप्रदेश