रूपोश
ज़ब प्यार तेरा था ठुकराया
तो कोस रही हर साँस मुझे
जब दिल को अपने समझाया
तो रूपोश मिली पहचान मुझे
क्या गुनाह किया था उसने जो
मुझको खुद से ज्यादा चाहा था
सब छोड़ किताबें कलम तोड़,
नज़रों में मुझे बसाया था
अब फिर से दिल ये कहता है
वो चाहे फिर एक बार मुझे
जब दिल को अपने समझाया
तो रूपोश मिली पहचान मुझे
वो टूट गई जब छोड़ दिया
जब सीसे सा दिल तोड़ दिया
वो बहा रही थी आंसू मैंने,
उसे उसी हाल में छोड़ दिया
ना मिलेगा सच्चा इश्क़ मुझे
था रब का ये फ़रमान मुझे
जब दिल को अपने समझाया
तो रूपोश मिली पहचान मुझे
… भंडारी लोकेश ✍?