रूपए सब कुछ करते देखा भाग -1
रूपए को सब कुछ करते देखा ।
भिखारी से अमीर बनते देखा ।।
अमीर से भिखारी बनते देखा ।
पूर्ण जग मे तो इसी का लेखा-जोखा ।
इसके लिए जान लेते देखा ।
और जान गंवाते देखा ।
रूपए को सब कुछ करते देखा ।
इससे सर्व काम बनते देखा ।
बिना इसके काम बिगड़ते देखा ।
बङे मूर्ख को सम्मान पाते देखा ।।
। प्रकांड विद्वान का अपमान होते देखा ।।
न जाने ये रूपए की कैसी है शाखा ।
जिसको दिन – प्रतिदिन बढते देखा ।।
न बाप बङा न भईया ।
सबसे बङा रूपअईया ।।
ऐसा भी सुनते आया ।
हाय रे ! रूपए की माया ।
न जाने क्या – क्या करवाते देखा ।
किसी को चोर बनाते देखा ।
किसी को डाकू बनाते देखा ।
किसी को चाकू चलाते देखा ।
किसी को सिर कटवाते देखा ।
आते रिश्ते बनते देखा ।
जाते रिश्ते बिगड़ते देखा ।
रूपये को सब कुछ करते देखा।
। ?? RJ ANAND PRAJAPATI ??