रूठे को पर्व ने मनाया
रूठे दिल को पर्व ने मनाया
उर में प्रेम का दीप जलाया
दूरियाँ मिटाकर करीब लाया
एक-दूजे को पास बिठाया।
रंगों की रंगीन बहार लाया
चेहरे पर हंसी निखार लाया
जीवन की बगीया महकाया
रूठे को जब पर्व ने मनाया।
— सुमन मीना (अदिति)
लेखिका एवं साहित्यकार