विनाश काले बुद्धि
विनाश काले बुद्धि ,
किसी ने ठीक ही कहा है ।
आज मनुष्य अपनी कब्र ,
खुद ही खोद रहा है ।
ईश्वर का अपमान करके,
पर्यावरण को नष्ट करके,
बेजुबान जीवों की हत्या करके,
निर्दोष मनुष्यों की हत्या करके ,
नारी का अपमान करके,
अपनी बरबादी हेतु खाई खोद रहा हैं।
या यूं कहो अपने पैर पर खुद ही कुल्हाड़ी मार रहा है तरह तरह के जघन्य अपराध करके ।
उसे कुछ सूझ नहीं रहा है ।
उसकी चेतना मिट चुकी है ,
जमीर मर चुका है ।
ईमान अपना बेच कर दौलत के हाथ ,
रूह को अपनी मैला करके ।
इंसान हैवान बन चुका है ।