रूठा तुझसे, तुझे ही मानता
गीत
रूठा हूँ तुझसे,तुझे ही मनाता हूं।
बस इसी तरह जिंदगी बिताता हूँ।।
मेरी शब का तू ही माहताब है।
प्रीत की बगिया का महकता गुलाब है ।
हजार मुश्किलें चाहे हों राहों में।
हर नश्तर को तेरी राह से हटाता हूँ।।
याद करो तुझसे जब मिला था।
संग गमों का अटूट सिलसिला था।
तेरे गले लगने से दूर हुए गम सारे।
संग तेरे बस खुशी के गीत गाता हूँ।।
सुख हो,दुख हो, अथवा धूप या_ छाँव हो
मिलन -विरह हो अथवा शहर या गाँव हो
परिस्थितियाँ अनुकूल या प्रतिकूल हो
साथ मैं हर तरह ही हरदम निभाता हूं ।।
आरती लोहनी