Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 Mar 2023 · 5 min read

रूकतापुर…

रूकतापुर मतलब रुकने वाली जगह लेखक ने बड़ा अच्छा नाम सोचा बिहार के सन्दर्भ में यह किताब काफी तथ्यों के साथ एक ऐसा विवरण है जो एक पत्रकार के लिए अपने घुमन्तु जीवन में कई बार आ सकती है और यह किताब उसी का परिणाम है वैसे बिहार से कई बड़े पत्रकार हुए जिन्होंने राष्ट्रीय पटल पर अपना नाम अंकित किया है लेकिन अगर उन्हें ध्यान से देखे तो उन सभी का अपना एक ईको सिस्टम रहा जिसके अंदर वे पूरी तरह फले फुले, ऐसा नहीं कह सकते है की उनमे योग्यता नहीं होगी अवश्य होगी तभी इतना दूर तक आ पाए लेकिन अगर आप उस ईको सिस्टम के बाहर वाले पत्रकारों के बारे में ढूंढने का प्रयास करेंगे तो आपको नहीं के बराबर मिलेगा।

खैर आते है किताब पर रुकतापुर काफी अच्छा नाम लगा जो हटकर भी है और संकेतात्मक भी है जो बिहार जैसे राज्य के लिए ऐसा लगता है पूर्णतः सत्य है जैसे मैं पहले भी कहता रहा हूँ की कोई भी लेखक बामुश्किल ही बिना पक्षपात के कोई किताब या लेख लिख पायेगा। यह किताब वाकई में अगर आप तथ्यात्मक रूप से देखे तो बिहार के सन्दर्भ में कई अच्छी बाते और कई ऐसी बातों के बारे में भी बात करता है जिससे लगता है की यहाँ पक्षपात हो गया। किताब की शुरुआत सुपौल जिले से शुरू होती है जिसमे कई ऐसी बाते दर्शाई गयी है जिससे लगता है बेकारे बिहार में रहते है काहे नहीं बिहार छोड़कर कही और बस जाते है लेकिन अपने जमीन से उखड़कर दूसरे जगह बसना आसान नहीं होता है। जिस सुपौल की किताब में बात की गयी है आज भी बड़ी लाइन बनने के बाद इस जगह की स्थिति में आमूल चल परिवर्तन हुआ हो ऐसा नहीं लगता है हाँ बस इतना जरुर हुआ है की किताब में लेखक को जितना समय यात्रा में लगा अब वो नहीं लगता है “क्या कीजियेगा, बैकवर्ड इलाका है न….”। पटना में अगर कोई एक महीना रह ले और सुपौल या सहरसा या मधेपुरा या अररिया या फॉरबिसगंज या कटिहार कोई घूम ले तो लगेगा कौन बियांबान में आ गए है यही हकीकत भी है आज के बिहार की। लेखक के अनुसार ही अगर बातों को आगे बढाए तो पीएनएम मॉल, म्यूजियम, सभ्यता द्वार या ज्ञान भवन घूम आइये तो लगता है पेरिस पहुँच गए लेकिन कोसी कछार, गया और मुजफ्फरपुर शिवहर, सीतामढ़ी के गाँवों में जाइएगा तो आज भी बलराज साहनी की “दो बीघा जमीन” की याद आएगी।

बिहार की स्थिति ऐसी है की एक तरफ यूपीएससी, आईआईटी, मेडिकल और आईटी में यहाँ के छात्र झंडा फहरा रहे है वही आज भी मुजफ्फरपुर में जब चमकी बुखार का प्रकोप आता है तो बच्चे किस प्रकार मरते है किसी को पता ही नहीं चलता कि क्या हो रहा है। बिहार के सभी पिछड़े जिलों से देश के बड़े बड़े शहरों को जाती ट्रेने बिहार की बदहाली की दशा बताती है लगभग इस किताब में यही कहते मिलेंगे लेखक महोदय, जो लगता है की सही भी है। यह सिर्फ ट्रैन की बात नहीं है बसों की हालात भी लेखक के शब्दों में कहे तो यहाँ भी कम रुकतापुर नहीं है लेखक महोदय को पूर्णिया से पटना आने के दौरान दोपहर दो बजे पूर्णिया से चलने वाली बस मुजफ्फरपुर शाम के ८ बजे पहुँच गयी और वहां से पटना ८० क़ीमी तय करने में साढ़े छह घंटे लग गए हालाँकि लेखक महोदय ने इसके भी भरसक लगने वाले कारण तो जरूर बताये है लेकिन सरकार को लपेटे में लेना नहीं भूले की सरकार बिहार के हर जिले से अधिकतम ५ घंटे में पहुँचने की सरकार के दावे की पोल खोल दिए। लेखक महोदय को सहरसा, समस्तीपुर,मधुबनी, जयनगर, दरभंगा,सीतामढ़ी, कटिहार और मुजफ्फरपुर से मजदूरों के पलायन की संख्या को हजारो में लिखा है और सही भी लगता है क्योंकि इन क्षेत्रो से दिल्ली और पंजाब की तरफ जाने वाली गाड़ियों में आपको जगह मुश्किल से मिलती है इसी क्रम में लेखक को एक युवक मिलता है जिसके दादा कभी पंजाब मजदूरी करने जाते थे फिर उसके पिताजी गए और अब वह जा रहा है। कोरोना में जब बिहार ट्रैन आ रही थी तो सरकारी आंकड़े के हिसाब से ३० लाख मजदुर वापस आये थे यही संख्या काफी कुछ कहता है लेकिन सरकार अपने अपने आंकड़े से बिहार को अग्रणी राज्यों में बताना नहीं भूलती है।

किताब के दूसरे भाग के “घो-घो रानी, कितना पानी” से शुरुआत करते है तो यह बताना नहीं भूलते है की २८ सितम्बर २०१९ को पटना जो बिहार की राजधानी है किस प्रकार जलमग्न हो गयी और चारो तरफ त्राहिमाम मची हुयी थी और तत्कालीन उप मुख्यमंत्री के घर तक में पानी घुस गया था और ऐसी कई हस्तियां थी जिन्हे उस समय काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था प्रख्यात गायिका शारदा सिन्हा जी की फोटो हम सबने सोशल मीडिया पर देखा ही होगा। उस भयावहता को देखने के बाद विश्व विख्यात लेखक रेणु जी का १९७५ में लिखा गया पटना के बाढ़ पर ही रिपोर्ताज पढ़ने पर अक्षरश वही नजर आने लगा था। लेखक सिर्फ रुकतापुर को आगे बढ़ाने के लिए यही नहीं रुकते है वे कोशी के बारे में भी बात करते है अगर आपने कोशी डायन नाम से रेणु की रिपोर्ताज पढ़ी होंगी तो इन लेखक महोदय के अनुभव भी कम नहीं है कोशी की विभीषिका को लेखक जी ने कोशी के वटवृक्ष नाम से भी एक किताब लिखी है उसको पढ़कर अंदाजा लगाया जा सकता है इस किताब में कोशी की विभीषिका पर थोड़ा संक्षेप में बातें कही गयी है लेकिन कही गयी है और अगर आप कोशी या सीमांचल क्षेत्र से आते है तो आपको यह आपकी अपनी कहानी लगेगी जो यहाँ के लोग हर साल झेलते है। दरभंगा के सूखते तालाब और बिगहा क्षेत्र में पानी में आर्सेनिक और फ्लोराइड की अधिक मात्रा में मिलना और उस दूषित पानी के पीने से होने वाली मानवीय क्षति से तो बिना संवेदना वाला व्यक्ति भी काँप जाए।

भुखमरी, कुपोषण, चमकी जैसी ऐसी कई समस्याओं के बारे में लेखक महोदय में बड़ी अच्छी विवेचना की है। मखाना फोड़ने की विधि से लेकर इन मजदूरों के साथ आने वाली दिक्कतों का भी काफी बारीकी से जिक्र किया है। किताब के अनुसार बिहार के जनगणना २०११ के अनुसार ६५ फीसदी ग्रामीण आबादी भूमिहीन और इसके सबसे ज्यादा संख्या पिछडो और दलितों की है, इसी क्रम में सरकार भूमिहीनों के लिए जो कार्यक्रम चलाती है उन्हें कागज भी मिल जाते है लेकिन उनको वास्तविक अधिकार नहीं मिल पाता है। बेरोजगारी भी एक बड़ी समस्या है जिसकी वजह से यहाँ के युवा अपने लिए रोजगार की तलाश में थक हारकर बाहर की राह पकड़ते है।

अगर आप बिहार से है तो आपको यह किताब अवश्य पढ़नी चाहिए ताकि आपको अंदाजा हो की बिहार के कितने रुकतापुर है जो बिहार के वास्तविक विकास की गति पर रोक लगाए हुए है। लेखक महोदय का धन्यवाद।

धन्यवाद
©✍️ शशि धर कुमार
https://shashidharkumar.blogspot.com/2023/03/ruktaapur.html

442 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Shashi Dhar Kumar
View all
You may also like:
*भूल गए अध्यात्म सनातन, जातिवाद बस याद किया (हिंदी गजल)*
*भूल गए अध्यात्म सनातन, जातिवाद बस याद किया (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
जुएं में अर्जित धन जुएं से और धन कमाने की आकांक्षा में लोग अ
जुएं में अर्जित धन जुएं से और धन कमाने की आकांक्षा में लोग अ
Rj Anand Prajapati
संवाद
संवाद
surenderpal vaidya
पल परिवर्तन
पल परिवर्तन
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
आपके
आपके "लाइक्स"
*प्रणय*
आंखों में तिरी जाना...
आंखों में तिरी जाना...
अरशद रसूल बदायूंनी
"सवाल"
Dr. Kishan tandon kranti
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Neelofar Khan
4467.*पूर्णिका*
4467.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
मेरे जैसा
मेरे जैसा
Dr. Pradeep Kumar Sharma
प्रेम के दो  वचन बोल दो बोल दो
प्रेम के दो वचन बोल दो बोल दो
Dr Archana Gupta
डिग्रियां तो मात्र आपके शैक्षिक खर्चों की रसीद मात्र हैं ,
डिग्रियां तो मात्र आपके शैक्षिक खर्चों की रसीद मात्र हैं ,
Lokesh Sharma
उड़ कर बहुत उड़े
उड़ कर बहुत उड़े
प्रकाश जुयाल 'मुकेश'
आवाहन
आवाहन
Shyam Sundar Subramanian
Grandma's madhu
Grandma's madhu
Mr. Bindesh Jha
हम भी खामोश होकर तेरा सब्र आजमाएंगे
हम भी खामोश होकर तेरा सब्र आजमाएंगे
Keshav kishor Kumar
सांवरिया
सांवरिया
Dr.Pratibha Prakash
समय अपवाद से नहीं ✨️ यथार्थ से चलता है
समय अपवाद से नहीं ✨️ यथार्थ से चलता है
©️ दामिनी नारायण सिंह
क्यो नकाब लगाती हो
क्यो नकाब लगाती हो
भरत कुमार सोलंकी
याद हम बनके
याद हम बनके
Dr fauzia Naseem shad
सताया ना कर ये जिंदगी
सताया ना कर ये जिंदगी
Rituraj shivem verma
मैं तुम्हें लिखता रहूंगा
मैं तुम्हें लिखता रहूंगा
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
मुक्ति
मुक्ति
Shashi Mahajan
भगवत गीता जयंती
भगवत गीता जयंती
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
वह आवाज
वह आवाज
Otteri Selvakumar
जब दिल लग जाये,
जब दिल लग जाये,
Buddha Prakash
मौत का डर
मौत का डर
अनिल "आदर्श"
परिवार का एक मेंबर कांग्रेस में रहता है
परिवार का एक मेंबर कांग्रेस में रहता है
शेखर सिंह
कलम और रोशनाई की यादें
कलम और रोशनाई की यादें
VINOD CHAUHAN
सरस्वती वंदना-2
सरस्वती वंदना-2
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
Loading...