रुला दे कोई..
आगोश-ए-सितम में
छुपाले कोई,
तन्हा हूँ
तड़पने से बचा ले कोई,
सूखी है
बड़ी देर से पलकों की जुबां,
बस…
आज तो जी भर के रुला दे कोई।
हिमांशु Kulshrestha
आगोश-ए-सितम में
छुपाले कोई,
तन्हा हूँ
तड़पने से बचा ले कोई,
सूखी है
बड़ी देर से पलकों की जुबां,
बस…
आज तो जी भर के रुला दे कोई।
हिमांशु Kulshrestha