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17 Nov 2018 · 1 min read

रुलाया गर नहीं होता हँसाना ही नहीं पड़ता

:::::::::::::::::::::%गजल %;::::::::::::::::
रुलाया गर नहीं होता, हँसाना ही नहीं पड़ता

मुसीबत में मेरे हुजरे में आना ही नहीं पड़ता
अगर औकात में रहते मनाना ही नहीं पड़ता

खुदा उसकी मदद करता जो गैरों की मदद करते
मुकम्मल सारी दुनिया को डराना ही नहीं पड़ता

अमल जो काश मुरलीधर की बातों पर ही कर लेते
सुदर्शन चक्र गिरधर को उठाना ही नहीं पड़ता

अगर दुनियाँ की नफरत प्रेम से ही खत्म हो जाती
महाभारत कन्हैया को रचाना ही नहीं पड़ता

सियासत में जो नागों को अगर पाला नहीं होता
तुम्हें गैरों के हुजरे को जलाना ही नहीं पड़ता

तुम्हें मशहूर होना था तो ऐसा काम कर जाते
कुचलकर आगे बढ़ने को गिराना ही नहीं पड़ता

तुम्हारी मुश्किलें ही बोलती “योगी” सभी बातें
रुलाया गर नहीं होता हँसाना ही नहीं पड़ता

रचनाकार-कवि योगेन्द्र सिंह योगी
मोबाइल नंबर – 7607551907

1 Like · 1 Comment · 358 Views
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