रुपया
अभी अभी लौटा हूं
बाजार के भीड़ भरे माहौल से
जिसमें उथल-पुथल
आपा धापी
रेलमपेल भाग दौड़
व्यस्त जिंदगी के सिवा
कुछ भी नहीं
इन सब के केंद्र बिंदु ढूंढा
तो केवल अर्थ अर्जन की
अभिलाषा को ही पाया
मैंने मानव की चंचल चेतना में
नैतिकता कार्य व्यवहार
संवादन आचार विचार
मधुर अभिवादन जैसे समस्त
श्रेष्ठ मानवी क्रियाकलाप
भी तो इस रुपए की
मजबूत पीठ पर ही टिके हैं
@ओम प्रकाश मीना