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15 Apr 2022 · 1 min read

रुक जा रे पवन रुक जा ।

रुक जा रे पवन रुक जा ।

कहाँ तू बहती जाए रे,
शीतल बदन तेरा एहसास जगाए रे,
तुझसे मेरी प्रीत बढ़ाये रे,
मेरा पिया मुझे याद आए रे।
रुक जा रे पवन रुक जा।।

दूर संदेशा मेरे ओठों का,
अपने ओठों में दबाये के,
हल्के-हल्के से दर्द मेरे ह्रदय का,
बह कर तू बताए दे।
रुक जा रे पवन रुक जा ।।

छू के बदन तू किधर उड़ता जाए रे,
केश मेरे घने बादल से बारिश की आस जगाए रे,
तू मंद-मंद मुस्काये रे,
प्रेम अग्नि के लपटो को बढ़ाये रे।
रुक जा रे पवन रुक जा ।।

आगोश में तेरे मेरे नैना शर्माए रे,
बहने से तेरे मेरी चूनर उड़ी-उड़ी जाए रे,
तन बदन मेरा तू महकाये रे,
पिया का अंगना याद आए रे,
रुक जा रे पवन रुक जा ।

रचनाकार –
बुद्ध प्रकाश मौदहा हमीरपुर।

Language: Hindi
Tag: गीत
3 Likes · 407 Views
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