रुको तो सही
*** रुको तो सही (ग़ज़ल) ***
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आ गए हैं हम रुको तो सही,
जिंदगी है कम रुको तो सही।
थक गए हैं आपको ढूंढते,
अब रहा ना दम रुको तो सही।
आप बिन कोई गवारा नहीं,
आपका है गम रुको तो सही।
है खुशी मुझको मुनासिब नहीं,
ऑंख भी है नम रुको तो सही।
यार मनसीरत कहाँ को चले,
जागता है रम रुको तो सही।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)