रुकना नहीं चाहता कोई
रुकना नहीं चाहता कोई
थमना नहीं चाहता कोई।
बस भागना चाहते हैं सब
आगे निकलना चाहते हैं सब।
वक्त नहीं है किसी के पास भी
परिवार के लिए
यारी दोस्ती के लिए।
बस शिखर पर पहुंचना है सबको
सबसे बड़ा बनना है सबको।
पर भूल जाते हैं लोग शायद
जितना ऊपर वह जाएंगे
उतने ही अकेले वह पड़ जाएंगे।
नहीं मिलेगा उन्हें कोई भी
बात करने के लिए
समझने के लिए।
अनदेखा सब इस बात को कर देते हैं
अपने को अपनों से दूर कर देते हैं।
क्योंकि…
रुकना नहीं चाहता कोई
थमना नहीं चाहता कोई।
– श्रीयांश गुप्ता