रिश्तो का संसार बसाना मुश्किल है।
ग़ज़ल
रिश्तो का संसार बसाना मुश्किल है।
तोड़ो पल में किंतु बनाना मुश्किल है।
चलो बनाना कठिन नहीं ये मान लिया,
रिश्तो को पर यार निभाना मुश्कि़ल है।
नफरत है फिर भी घर में आते जाते,
यारो दिल में आना जाना मुश्कि़ल है।
भूख से तड़़प रहा हो गर कोई बच्चा,
देख के कैसे खाऊं खाना मुश्किल है।
बेरोजगारी भूख गरीबी क्या होती,
नेताओं को यह समझना मुश्किल है।
मौज उड़ाते सेवक सब अय्याशी में,
पर मालिक का आबोदाना मुश्किल है।
‘प्रेमी’ प्यार मुहब्बत सब है कहने को,
ग्वाल बाल गोपी बन पाना मुश्किल है।
……….✍️ सत्य कुमार प्रेमी