रिश्तों में शक
दूरियां कितनी भी हो,
रिश्तों में दरार नहीं आती हैं ।
मजबूरियां कितनी भी हो ,
रिश्तों में टकरार नहीं आती हैं ।
लेकिन जब शक का एक बीज गिरता हैं ,
तो, पास रहकर भी दूरियां होती हैं ।
गलती किसी की नहीं होती ,
वक्त हमारे साथ खेल खेलती ।
जिसके लिए छोड़ी दुनिया हैं ,
पल भर में उसने छोड़ा हैं ।
पूछो वजह उनसे तो कहते है ,
ये खुद से पूछो कहा रंग बिखेरा है।
सजी सजाई दुनियां पल भर में बिखर जाती हैं ,
ये शक कि बीमारी जिसे लग जाती हैं ।
उनका छोटा सा आशियाना यूंही शक में डूब के न जाता है।।
Sakshi Singh