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29 Jan 2023 · 1 min read

रिश्तों में गहरी छांव है

रिश्तों में गहरी छांव हैं
*******************

हमें देते वही ही घाव हैं,
जिनसे हमको लगाव है|

खुल से जुदा कैसे करें,
मन में बहुत से चाव है|

दिल में भरी हों नफरतें,
रिश्ते में हो बिखराव हैं|

मन से मन जब न मिले,
उत्पन्न होते अलगाव है|

दरिया में नदियां मिलें,
तीव्र हो जाते बहाव है|

किनारे बहुत ही दूर हैं,
मंझदार फंसी नाव है|

चलते-चलते रुक जाएं,
अच्छा नहीं ठहराव है|

चेहरा तुम्हारा है आईना,
छिपते न हाव – भाव है|

करके दिखाएं काम को,
काम न आते सुझाव है|

जैसी जिसकी भावना,
विचारों से ही उठाव है|
.
अकड़ में पकड़ टूटती,
प्रेम से होता झुकाव है|

पथ पर पग रख संभल,
पंक में धंसते पांव है|

मनसीरत हमेशा ढूंढ़ता,
रिश्तों में गहरी छांव है|
********************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

Language: Hindi
70 Views
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