“रिश्तों में खटास पड रही है ll
“रिश्तों में खटास पड रही है ll
दोलत की प्यास बढ़ रही है ll
सास-बहू से लड रही है
बहू-सास से लड़ रही है ll
बेटे को दो दिन लगेंगे विदेश से आने में,
यहाँ गाँव में बूढ़ी माँ की लाश सड़ रही है ll
जरुरत जमींदोज हो चुकी है,
ख्वाहिश आकाश चढ़ रही है ll
मैं उसे विनाश लिख रहा हूँ,
दुनिया जिसे विकास पढ़ रही है ll”