रिश्तों में अपनापन हो
रिश्तों में अपनापन हो
******************
सार्थक सुन्दर स्वप्न हो
रिश्तों में अपनापन हो
सुदूर रहें चाहे पास रहें
दिल के सदा खास रहें
पारदर्शक सा दर्पण हो
रिश्तों में अपनापन हो
कटुता का ना वास हो
प्रभुता का सहवास हो
परस्पर सब सज्जन हों
रिश्तों में अपनापन हो
कभी न कोई खट्टास हो
मधु सी भरी मिठास हो
माधुर्य मन में वन्दन हो
रिश्तों में अपनापन हो
आदर भाव सत्कार हों
संस्कृति एवं संस्कार हों
मानवता का अर्जन हो
रिश्तों में अपनापन हो
ईर्ष्या,लोभ का लोप हो
क्रोध और न प्रकोप हो
सन्तोष सदैव सृजन हो
रिश्तों में अपनापन हो
प्रेम का महासागर हो
गागर में भरे सागर हो
संबंधों में न निर्जन हो
रिश्तों में अपनापन हो
सुखविन्द्र न तनाव हो
रिश्तों में न खिचांव हो
अर्पण और समर्पण हो
रिश्तों में.अपनापन हो
सार्थक सुन्दर स्वप्न हो
रिश्तों में अपनापन हो
******************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)