रिश्तों को बदला नहीं जा सकता !
रिश्तों को बदला नहीं जा सकता !
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हरेक इंसान में अनेकानेक गुण होते हैं….
और कुछ-न-कुछ खामियाॅं भी होती हैं !
इसी में से कुछ हमारे रिश्तेदार होते हैं !
आप रिश्तेदारों से फ़ायदे तो ले लेते हैं !
पर उसकी खामियों को उजागर कर देते हैं!
ये हमेशा ही आप बिल्कुल ग़लत करते हैं !
हमें सदैव इन बातों को स्मरण में रखना है….
कि हमें इन्हीं रिश्तेदारों से काम चलाना है….
रिश्तों को हर दिन तो बदला नहीं जा सकता….
आज के युग में रिश्तों की बहुत अहमियत है !
इन रिश्तों से हम सब रोज़ लाभान्वित होते हैं !
रिश्ते तो घर-परिवार की आधारशिला होते हैं !
इसी से हम देश-दुनिया के हर कार्य सलटाते हैं !
आश्चर्य ये है कि हम क्यों नहीं इसे समझ पाते हैं!
बीच जिनके दिन-रात ही हम खुशियाॅं बाॅंटते हैं !
उन रिश्तों की क्यों हम कभी अवहेलना करते हैं?
क्यों रिश्तेदार तिरस्कार के ऑंसू पीकर रहते हैं??
क्यों नहीं इस तथ्य को सहर्ष हम स्वीकार करते हैं?
कि रिश्तों को हर दिन तो बदला नहीं जा सकता….
माना कि रिश्तेदार कुछ अवगुणों से भी लैस हैं !
पर उनमें कितने-सारे सद्गुण भी तो समाहित हैं !
क्यों नहीं एक-दूसरे का दु:ख-दर्द समझ सकते हैं?
क्यों हम हमेशा ऑंसुओं के घूंट पीकर रह जाते हैं?
क्यों हम सर्वदा ग़म के साये में ही जिया करते हैं ?
क्यों नहीं हम आपस में मिल-बैठकर बातें करते हैं?
क्यों हम रिश्तेदारों के अवगुणों को बाहर लाते हैं ?
रिश्तेदार तो जीवन में हर दिन हमारे काम आते हैं !
हम सब क्यों नहीं खुद में थोड़ा-बहुत सुधार लाते हैं?
क्यों नहीं जीवन के इस सच को हम समझ पाते हैं ?
कि इस रिश्ते के सहारे ही हम कुछ आगे बढ़ पाते हैं…
और इन रिश्तों को हर दिन तो बदला नहीं जा सकता…
स्वरचित एवं मौलिक ।
सर्वाधिकार सुरक्षित ।
अजित कुमार “कर्ण” ✍️✍️
किशनगंज ( बिहार )
दिनांक : 20 अक्टूबर, 2021.
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