रिश्तों के सूरज
बहती उम्र के साथ
रिश्तों के सूरज तो
और अधिक चमकने चाहिए
यह तो चमकने के बजाय
ढलने लगे हैं
खुद का अंत होने से
पहले
इनका अंत क्यों होने
लगा
सारी उम्र जो इन रिश्तों को
दे दी
वह मुझे अपना कहकर
गले लगाने की जगह
परायेपन का अहसास
मन में जगाकर
ठुकरा कर
एक कोने में पटककर
एक अंजान की तरह
मुंह फेरकर
मुस्कुराकर कौन दिशा में
चला।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001