रिश्तों के मायने
एक ही मां की कोख में पले।
एक ही पिता की उंगुली पकड़कर चलें।
एक ही आसमा के तले
धरती पर कदम रख
मां के सानिध्य में ढले।
एक ही आंगन में,
ममता की छाव तले,
पले भी, रोए भी,रात में संग सोए भी।
फिर मेहनत की अपार,
तोड़ी सभी बंधनों की दीवार।
पैसों को बनाया जीवन का आधार ।
पार लगाई नईया स्वयं होकर सवार।
आगे तो पहुंच गए पर पीछे छूट गया परिवार।
जिसमें एक छोटा भाई था जिसके लिए उसका बड़ा था उसके जीवन का आधार।
वह न कर पाया वो अपने सपने साकार ।
ना बना पाया वह पैसों को अपने जीवन का आधार।
ना तोड़ पाया संघर्ष की दीवारों को,
नहीं बदल पाया अपने विचारों को।
जब पैसा बढ़ा, बड़े भाई में घमंड हुआ अपार
बहन ने भी माना, बड़े भाई ने किए है; अनेक उपकार।
रिश्तेदारी निभाता है सभी जगह दौड़ा चला आता है ।
क्या हुआ यदि वह अपने छोटे भाई के परिवार को नहीं चाहता है ?
निमंत्रण का न्योता सब तरफ जाता है।
पर छोटे भाई का परिवार नहीं बुलाया जाता है।
बहन कुछ कह नहीं सकती,
शायद पैसे वाले भाई के बिना रह नहीं सकती।
देखो दुनिया का दस्तूर है।
दोगलापन निभाया जाता है।
व्हाट्सएप पर बड़े भाई का छोटे भाई के परिवार से प्यार दिखाया जाता है।
असल जीवन में रिश्ता नहीं निभाया जाता है।
यह मेरी कहानी नहीं
अब खून में रवानी नहीं।
होता आया है, होता रहेगा ; अमीर भाई – बहन के द्ववारा गरीब भाई- बहन पर अत्याचार।
मुझे समझ नहीं आता
जब चढ़ता है अमीरी का बुखार।
तब कहां जाते हैं मां – बाप के दिए संस्कार।
क्यों अपने ही रिश्ते बलि चढ़ाए जाते हैं।
झूठी शान की खातिर,
अपनों के, अपने ही रिश्तेदारों में समक्ष शीश झुकाए जाते हैं।
क्या यही सब देखने की खातिर,
सरकार द्वारा ‘ हम दो हमारे दो’ के नारे लगवाए जाते हैं।
आभार सहित
रजनी कपूर