रिश्तों की परिभाषा
यारो रिश्तों की बेह़द परवाह कीजिए,
रिश्ते हैं तो जिदंगी में अपनापन है,
रिश्ते ही हमसे हमारी पहचान कराते हैं,
रिश्ते ही आत्मविश्वास और भरोसा दिलाते हैं,
जरूरत के वक्त सिर्फ रिश्ते ही साथ निभाते हैं,
रिश्ते हैं तो सुख-दुख ओनलाईन छापते हैं,
रिश्ते हैं तो प्रशंसा के दो शब्द मिल पाते हैं।
वो रिश्ते ही हैं जो तीखी प्रतिक्रिया भी दिलाते हैं।
ये रिश्ते हैं जो आज हमें रूठने का मौका देते हैं
रिश्ते हैं जो आपको अहम का एहसास दिलाते हैं।
रिश्ते हैं जो हमें घाव और लगाव दोनों देते हैं।
रिश्ते हैं जो हमें मजबूत और कमजोर बनाते हैं।
रिश्ते ही दूर होने की जुदाई का एहसास कराते हैं,
रिश्ते ही हमें उत्सव मनाने का मौका देते हैं,
यारो रिश्ते सिर्फ खून से जुडे़ ही नहीं,
एहसासों, जज्बातों की पक्की डोर से बंधे होते हैं।
यारो सिर्फ खून के रिश्ते होना ही जरूरी नहीं,
कुछ रिश्ते दिल और जज्बात के भी हुआ करते हैं।
रिश्तों को इतना समेट़ और सहेज़ कर रखो,
कि बिखरने न पाये, और प्ले स्टोर पर ढूंढना पडे़।