रिश्तों की डोर
उदार मन , असीम स्नेह
द्वेष भाव दूर तलक
सम्बंधों में विश्वास
संग बड़ों का आशीष
दूर सदा अलगाव
नहीं अनावश्यक तनाव
मर्यादा ओढ़े हुए
जीवन में प्रेम रस घोले
विश्वास ओर उम्मीद की नाज़ुक
डोर से बंधी रिश्तों की परिपाटी
संभल कर सागर सी विशाल
लिए अपना स्थायित्व
बूंद सम लघुकाय बनी
तो मिट गया अस्तित्त्व ही।