रिश्तों की गांठों को सुलझाने कौन आएगा।
दिल तो दिल है इसको समझाने कौन आएगा
रिश्तों में पड़ी गांठो को सुलझाने कौन आयेगा।
महफिल में यूँ तो लोग बहुत खुश नज़र आये,
जो शख्स नाराज़ है उसे मनाने कौन आएगा।
दिल की चोटें कभी चैन से रहने न देंगी,
पहले पूछ लो मरहम लगाने कौन आएगा।
मोड़ हज़ारो मिलेंगे तुम्हे मिलेंगे कई चौराहे,
कौनसी राह जाना है ये बताने कौन आयेगा।
नींद से भरी आँखें है रात भी हो ही गयी है,
थपकियाँ दिला दिला के सुलाने कौन आएगा ।
झरोखों से झांकती वो आँखे ही तो वजह है,
वरना ये शक्ल इस शहर को दिखाने कौन आएगा ।
शख्स जो चाबी बनाता है उसका ठिकाना दूर है
बंद पड़े दरवाजे का ताला, खुलवाने कौन आएगा।
गर चल पड़े हो संग तो मुड़ मुड़ कर ना देखो,
मैं अकेला ही साथी हूँ तो बुलाने कौन आएगा।
सौरभ पुरोहित……☺