एक नया गीत लिखता हूँ
प्रेम दो आत्माओं का मिलन है और संगीत आत्मा का परमात्मा से मिलन। इन दोनों को मिला कर प्रेम रस से परिपूर्ण ये गीत।
आज मैं एक नया गीत लिखता हूँ।
दो आत्माओं के मिलन का संगीत लिखता हूं।।
पहली बार जो तुम्हें देखा तो तुम सितार सी लगी,
मेरे हृदय की वीणा के तार सी लगी।
दूसरी बार जो तुम्हें देखा तो देखता रह गया,
कभी उषा की पहली किरण, कभी खिलता गुलाब तो कभी संगीत के झंकार सी लगी।
तुम्हारे आगमन से मेरे हृदय में उठा प्रीत लिखता हूं,
आज मैं एक नया गीत लिखता हूँ।
दो आत्माओं के मिलन का संगीत लिखता हूं।।
जब भी तुम्हें देखा मैं खोता चला गया,
जितना तुम्हें जाना, तुम्हारा होता चला गया।
कभी सुबह – ए – बनारस, कभी मौसम – ए – सावन सी लगी,
कभी सरगम तो कभी गंगा – यमुना के संगम सी लगी।
तुम्हारे हमारे मिलन की मैं नई रीति लिखता हूँ,
आज मैं एक नया गीत लिखता हूँ।
दो आत्माओं के मिलन का संगीत लिखता हूं।।
© बदनाम बनारसी