रिश्तों की अहमियत
जिंदगी की इसी कसौटी में,
हर रोज की भागदौड़ है,
सबसे आगे निकलने की होड़ में,
भूल गया है इंसान,
रिश्तों की अहमियत क्या हैं,
खुद को होश नहीं है,
हालात और औकात क्या है,
चलते-चलते कदम रूके है,
मंजिल तक जाने के
ये रास्ते भी उलझे है,
न जाने नियति की नीयत क्या है,
भूल गया है इंसान,
रिश्तों की अहमियत क्या हैं,
देखकर भी अनजान है,
रिश्तों का हो रहा अपमान है,
फायदे की निगाह से देखते है,
हर रिश्ता, चाहे है मां-बाप
चेहरे पर कुछ और है,
दिल में और, हर शख्स में खोट
सगे रिश्तों की मदद में,
बरतता है एहतियात,
भूल गया है इंसान,
रिश्तों की अहमियत क्या हैं,
गुरू विरक
सिरसा (हरियाणा)