रिश्तों का बदलता समीकरण
झूठ कहते हैं लोग ,
के भाई अनुजों के लिए पिता समान होते है ।
हकीकत तो यह है की भाई ,
सिर्फ अपनी संतान और पत्नी के ही होते हैं।
जब तक विवाह न हुआ तब तक !
पुत्र या भाई अपना होता है ।
और विवाह हो गया तो ,
बेगाना हो जाता है।
फिर कैसा फर्ज , कैसी जिम्मेदारी ,
कैसा लगाव और कैसी आपसी समझदारी ।
रिश्तों का सारा समीकरण बदल जाता है ।