रिश्ते
बिखरते टूटते रिश्तों का
खोमोश होना
लाजमी था…!
खामोशियां के
बोझ
को
ढोना
भी
लाज़िम होता
अगर…
बिखरने से पहले
समेटने
का
हौसला
दिया होता…!
रिश्ते कभी भी
चुपचाप
मिटा
नहीं करता..!
राख के
नीचे
चिंगारी
जिंदा रहती है..!
बस
एक हवा के
झोके
का
इंतज़ार…!
सारे
शिकवे दूर
कर
देता है..!!!!