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3 Jul 2022 · 1 min read

‘रिश्ते’

ये रिश्ते ये नाते हमें हंसाते रुलाते,
कभी रूठ जाते कभी गुदगुदाते।

बचपन के रिश्ते, होते हैं प्यारे,
संग संग रहते, मानो चंदा तारे,
पिता माँ दादी , दद्दा बहन भाई,
हो चाचा चाची, ताऊ और ताई,
सभी प्यार से हैं, गले से लगाते।
ये रिश्ते ये नाते, हमें हंसाते रुलाते,
कभी रूठ जाते, कभी गुदगुदाते।

संगी साथियों की बात ही निराली,
मिल-कर मनाते बजाकरके ताली,
बिन मिले इनको चैन कब आनेवाला,
जब तक न डालें, गले बाहों की माला,
दुनिया जहान की, ये बातें बतियाते।
ये रिश्ते ये नाते, हमें हंसाते रुलाते,
कभी रूठ जाते, कभी गुदगुदाते।

स्वार्थ की भावना, है बीच आती,
भरी भीड़ रिश्ते को हमसे चुराती,
अहं के लुटेरे, रिश्ते लूट ले जाते,
धोखे के पर्दे से रिश्तों को जलाते,
कुछ टूट जाते तो, कुछ छूट जाते।
ये रिश्ते ये नाते हमें हंसाते रुलाते,
कभी रूठ जाते कभी गुदगुदाते।

-गोदाम्बरी नेगी

Language: Hindi
176 Views
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