रिश्ते
सिक्कों की खनक से बजाने लगे हैं
लोग आजकल रिश्तों को आजमाने लगे हैं।।
****
जिस्म की भूख से लबालब भर गए जब
फिर तोहमत वो यारो लगाने लगे हैं।।
****
नया कोई सौदागर लगायेगा बोली
इस कद्र अपनी महफ़िल सजाने लगे हैं।।
****
वफ़ा की वो कीमत कहाँ जान पाए
सदियों की महोब्बत पल में भुलाने लगे हैं।।
****
वक़्त- ए-हालात “दीप” समझे तो होते
जज्बातों में बहकर जो रूलाने लगे हैं।।
****
कुलदीप दहिया “मरजाणा दीप”