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28 Nov 2019 · 1 min read

रिश्ते

रिश्ते

सुन ये अजनबी ,
प्रेम की अभिव्यक्ति ।
कागज में परिणित,
बताओ तुम क्या रिश्ते हो।
छुप छुप के बातें,
होती संचार मशीन में।
ध्वनि की मधुर तरंगे,
अपनापन लगती हो।
तुझे देखने के लिए,
नैन तरसे मोहतरमा।
झलक दिखाओ,
बताओ आखिर क्या लगते हो।
पुरानी यादें को भी,
रोज ताजा करती।
दिल को गुदगुदाती,
मन मंदिर में बसती हो।
हजारों में एक तु ही,
दिल से मस्त लगती हो।
मुस्कान से मैं फिदा,
इशारों में बात करती हो।
तोड़ दो बेड़ियाँ,
कह दो इन जमानों को।
जुड़ जाये अब दो दिल,
बंध जाय अटूट रिश्ते की।
_____________&&&_________
रचनाकार डीजेन्द्र क़ुर्रे “कोहिनूर”
पीपरभवना,बिलाईगढ़,बलौदाबाजार (छ. ग.)
मो. 8120587822

Language: Hindi
2 Likes · 204 Views
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