रिश्ते , प्रेम , दोस्ती , लगाव ये दो तरफ़ा हों ऐसा कोई नियम
रिश्ते , प्रेम , दोस्ती , लगाव ये दो तरफ़ा हों ऐसा कोई नियम तो नहीं है
ये सब भावनाएँ तो व्यक्तिगत हैं
दूसरा पक्ष भी उतनी ही व्यग्रता , गहनता और निष्पक्ष रूप से समान भावना रखे ऐसा चाहना सर्वथा अनुचित है
अपनी भावनाओं को किसी भी अभाव से प्रभावित ना होने दें
सौहार्द , प्रेम , अपनापन बस स्वयं के व्यवहार में रखें…….. पर कोई आपसे भी प्रेम करेगा इसकी अपेक्षा ना रखें ।।
सीमा वर्मा