** रिश्ते नाते **
** गीतिका **
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रिश्ते नाते सम्बन्धों का, अद्भुत है संसार।
इनके कारण ही आपस में, बढ़ जाता है प्यार।
बेचैनी से भर जाता मन, आए कभी खटास।
कभी स्वार्थवश पड़ जाती जब, इनमें कहीं दरार।
यादों में गहरे बस जाते, हो जब निश्छल भाव।
फर्क नहीं पड़ता है कोई, दूर कहीं हो यार।
समय बदलता रहता ज्यों ज्यों, हम होते परिपक्व।
सम्बंधों को मिलते रहते, नये नये आधार।
पुण्य धरा से सभी निभाएं, मां जैसा सम्बन्ध।
पालन करती हम सबका यह, प्रकट करें आभार।
बहुत जरूरी है हम कर लें, रिश्तों का सम्मान।
बरबस मोह लिया करता मन, स्नेह भरा व्यवहार।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य, मण्डी (हि.प्र.)