रिश्ते-नाते लगते यूँ ऐसे
रिश्ते- नाते लगते यूँ ऐसे
पुराने हों बही -खाते जैसे
हिसाब कभी मिलता नहीं
जवाब कभी मिलता नहीं
किश्तों में ये निभते रिश्ते
पहले जैसे रहे नहीं रिश्ते
पेड़ खजूर से हुए हैं रिश्ते
अहं में नहीं झुकते रिश्ते
सरिता सी वेग बहते रिश्ते
बीच कहीं रुकते ना रिश्ते
सरिये से सख्त हुज रिश्ते
जरुरत में ना मुड़ते रिश्ते
बैंकों से हुए हैं नुगरे रिश्ते
रास्तों से बंद होते ये रिश्ते
मोल भाव में बिकते रिश्ते
प्रेम भाव से दूर होते रिश्ते
ईर्ष्या अग्नि में जलते रिश्ते
लोभ-क्रोध-मोहयुक्त रिश्ते
सीमा में सीमांकित रिश्ते
पर्णों से झड़ने लगे रिश्ते
प्रेम बूंदों को तरसते रिश्ते
पहेली से उलझते हैं रिश्ते
निय ताने बाने बुनते रिश्ते
सागर से गहरे हैं ये रिश्ते
लहरों से लहराते हैं रिश्ते
सर्प से बल खाते हैं रिश्ते
अंगुली पर नचाते हैं रिश्ते
सूल का सूली बनाते रिश्ते
वक्त कसौटी,बदलते रिश्ते
समझो,परखो,संवारो रिश्ते
मिलजुल कर चलें ये रिश्ते
समाज की बुनियाद रिश्ते
कुल,वंश की लाज हैं रिश्ते
पीढी से पीढी चलते रिश्ते
मेलमिलाप से निभते रिश्ते
जब तक हैं जिंदा ये रिश्ते
प्रेम बीज उगाएंगे ये रिश्ते
संग संग हर्ष मनाएंगे रिश्ते
सुख-दुख में सहारा ये रिश्ते
-सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली