रिश्ते के समुन्दर में
कभी वह ठहर जाती है
एक रुके हुए पल की तरह
कभी उसे बहुत जल्दी होती है
एक बरसते हुए बारिश के पानी की तरह
समुन्दर के किनारे
घूमते घूमते
उसके करीब बस
उतना ही जाओ
जहां उसकी कोई
एक लहर बस तुम्हें थोड़ा सा ही
छू पाये फिर
पीछे लौट आओ
किसी भी रिश्ते के समुन्दर में
बहुत आगे बढ़ने की कोशिश
करी तो
दूर कहीं बह जाओगे
डूब जाओगे
मर जाओगे
मिट जाओगे
वापिस लौटकर कभी
इसके किनारे तक
पहुंच भी नहीं
पाओगे।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001